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"तुम तूफान समझ पाओगे / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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गीले बादल, पीले रजकण,
 
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सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
 
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लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?
 
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तुम तूफान समझ पाओगे?
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लहराता इससे मधुवन था,
 
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सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
 
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तुम तूफान समझ पाओगे?
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तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
 
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नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
 
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जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
जाता है अज्ञात दिशा को ! हटो विहंगम, उड़ जाओगे !
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तुम तूफान समझ पाओगे ?
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02:02, 28 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफान समझ पाओगे?