भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"समर्पण / मोहन सगोरिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन सगोरिया |संग्रह=जैसे अभी-अभी / मोहन सगोरिया…)
 
छो ("समर्पण / मोहन सगोरिया" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

02:14, 12 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पाषाण शिला ज्यों धँसी
दूब में

बदली छाई
घिर आई
साँझ... गहराई

चूमा माथ
लगा ज्यों
झुक गया आकाश।