भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सब जैसा का तैसा / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | लेखक: [[कैलाश गौतम]] | ||
[[Category:कैलाश गौतम]] | [[Category:कैलाश गौतम]] | ||
[[Category:कविताएँ]] | [[Category:कविताएँ]] | ||
[[Category:गीत]] | [[Category:गीत]] | ||
+ | |||
+ | ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* | ||
कुछ भी बदला नहीं फलाने! | कुछ भी बदला नहीं फलाने! |
17:06, 10 दिसम्बर 2006 का अवतरण
लेखक: कैलाश गौतम
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
कुछ भी बदला नहीं फलाने!
सब जैसा का तैसा है
सब कुछ पूछो, यह मत पूछो
आम आदमी कैसा है।
क्या सचिवालय क्या न्यायालय
सबका वही रवैया है
बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे
सबसे बड़ा रुपैया है
पब्लिक जैसे हरी फसल है
शासन भूखा भैंसा है।
मंत्री के पी. ए. का नक्शा
मंत्री से भी हाई है
बिना कमीशन काम न होता
उसकी यही कमाई है
रुक जाता है, कहकर फौरन
`देखो भाई ऐसा है'।
मन माफिक सुविधायें पाते
हैं अपराधी जेलों में
कागज पर जेलों में रहते
खेल दिखाते मेलों में
जैसे रोज चढ़ावा चढ़ता
इन पर चढ़ता पैसा है।