भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दस की भरी तिजोरी / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=कैलाश गौतम | |
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
[[Category:गीत]] | [[Category:गीत]] | ||
− | |||
− | |||
सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट | सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट |
19:01, 17 अप्रैल 2008 का अवतरण
सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट
झुग्गीवाला देख रहा है साठ लाख का गेट।
बहुत बुरा है आज देश में
प्रजातंत्र का हाल
कुत्ते खींच रहे हैं देखो
कामधेनु की खाल
हत्या-रेप-डकैती-दंगा
हर धंधे का रेट।
बिकती है नौकरी यहां पर
बिकता है सम्मान
आंख मूंद कर उसी घाट पर
भाग रहे यजमान
जाली वीजा पासपोर्ट है
जाली सर्टिफिकेट।
लोग देश में खेल रहे हैं
कैसे कैसे खेल
एक हाथ में खुला लाइटर
एक हाथ में तेल
चाहें तो मिनटों में कर दें
सब कुछ मटियामेट।
अंधी है सरकार - व्यवस्था
अंधा है कानून
कुर्सीवाला देश बेचता
रिक्शेवाला खून
जिसकी उंगली है रिमोट पर
वो है सबसे ग्रेट।