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"सच कहता हूँ मैं / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
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19:02, 17 अप्रैल 2008 का अवतरण
तुमने छुआ, जगा मन मेरा
सच कहता हूँ मैं
मेरा तो अब हुआ सबेरा
सच कहता हूँ मैं
काया पलट गयी मेरी
दिनचर्या बदल गयी
जैसे कोई फांस फंसी थी
खुद ही निकल गयी
खूब मिला तू रैन-बसेरा
सच कहता हूँ मैं।
सारी उलझन सुलझ गयी है
तेरे दर्शन से
मेरे मन में समा गया तू
मन के दर्पण से
मैं हूँ तेरा सांप संपेरा
सच कहता हूँ मैं
आधा-तीहा नहीं रहा मैं
पूरमपूर हुआ
जैसा बाहर वैसा भीतर
मैं भरपूर हुआ
हुई रोशनी, छंटा अंधेरा
सच कहता हूँ मैं।