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"म्हारो कांई करसी / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
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राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी,<br> | राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी,<br> | ||
म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्याँ हे माय।।<br> | म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्याँ हे माय।।<br> |
19:29, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी,
म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्याँ हे माय।।
राणोजी रूठे तो अपने देश रखासी,
म्हे तो हरि रूठ्यां रूठे जास्याँ हे माय।
लोक-लाजकी काण न राखाँ,
म्हे तो निर्भय निशान गुरास्याँ हे माय।
राम नाम की जहाज चलास्याँ,
म्हे तो भवसागर तिर जास्याँ हे माय।
हरिमंदिर में निरत करास्याM,
म्हे तो घूघरिया छमकास्याँ हे माय।
चरणामृत को नेम हमारो,
म्हे तो नित उठ दर्शण जास्याँ हे माय।
मीरा गिरधर शरण सांवल के,
म्हे ते चरण-कमल लिपरास्यां हे माय।