भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मीरा की विनती छै जी / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=मीराबाई | |
+ | }} | ||
[[Category:पद]] | [[Category:पद]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !<br> | दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !<br> | ||
ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी <br> | ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी <br> |
21:49, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !
ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी
आप बिन मोहे कल ना पडत है जी !
ओजी! तडपत हूँ दिन रैन रैन में नीर ढले है जी
गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी !
ओ जी अवगुण भरे हैं अनेक, अवगुण म्हारां माफ करीज्यो जी
भगत बछल प्रभु बिड़द कहाये जी !
ओ जी! भगतन के प्रतिपाल, सहाय आज म्हांरी बेगि करीज्यो जी
दासी मीरा की विनती छै जी !
ओजी! आदि अन्त की ओ लाज , आज म्हारी राख लीज्यो जी!