भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुपतेसरा / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखक: [[कैलाश गौतम]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कैलाश गौतम]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=कैलाश गौतम
[[Category:गीत]]
+
|संग्रह=
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
 
+
 
+
 
गुपतेसरा ने खोली है दुकान गाँव में
 
गुपतेसरा ने खोली है दुकान गाँव में
  

14:11, 8 मई 2009 का अवतरण

गुपतेसरा ने खोली है दुकान गाँव में

काट रहा चाँदी वह बेईमान गाँव में।

गाँजा है, भाँग है, अफीम, चरस दारू है

ठेंगे पर देश और संविधान गाँव में।


चाय पान बीड़ी सिगरेट तो बहाना है

असली है चकलाघर बेज़ुबान गाँव में।

बम चाकू बंदूकों पिस्तौलों का धंधा

हथियारों की जैसे एक खान गाँव में।


बिमली का पिट गिरा कमली का फूला है

सोते हैं थाने के दो दीवान गाँव में।

खिसकी है पाँव की ज़मीन अभी थोड़ी सी

बाकी है गिरने को आसमान गाँव में।


सूखा है पाला है बाढ़ है वसूली है

किसको दे कंधे का हल किसान गाँव में।

गुपतेसरा गुंडा है और पहुँच वाला है

कैसे हो लोगों को इत्मीनान गाँव में।