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"सदस्य वार्ता:अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] ०२:०५, २१ नवम्बर २००९ (UTC)
 
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जनविजय जी! ’दिनकर’ जी की कविता ’आग की भीख’ में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है, अतः उस पन्ने को असुरक्षित कर दीजिए। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
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जनविजय जी! अब छायावादी कवियों में रामकुमार वर्मा जी ही रह गये हैं जिनका कोई संपूर्ण संग्रह कविता कोश पर नहीं है। अब अगला लक्ष्य रामकुमार वर्मा जी का कोई संग्रह ढूँढकर कविता कोश पर डालना है। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]

23:37, 7 दिसम्बर 2009 का अवतरण

नमस्कार,


कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।


यह लेख सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग नाम से उपलब्ध है।


शुभाकांक्षी

--सम्यक १६:०६, २६ सितम्बर २००९ (UTC)


एक रचना एक से अधिक संग्रहों में...

नमस्कार,


पिछले दिनों अमिताभ जी, श्रद्धा और धर्मेन्द्र कुमार को कविता कोश में रचनाएँ जोड़ते समय एक समस्या का सामना करना पड़ा था। यदि एक ही रचना किसी कवि के एक से अधिक संग्रहों में प्रकाशित हुई हो तो क्या उस रचना को हर संग्रह के लिये अलग-अलग टाइप करना चाहिये? इसका जवाब है "नहीं"...


आज मैनें KKRachna टैम्प्लेट के कोड में कुछ बदलाव किये हैं। इससे अब आप किसी भी रचना को एक से अधिक संग्रहों का हिस्सा बता सकते हैं। इसके लिये आपको संग्रहों के नामों को सेमी-कोलन (;) से अलग करना होगा। उदाहरण के लिये:


{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=परिमल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}


इस उदाहरण में रचना को 2 संग्रहों (परिमल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" और अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला") का हिस्सा बताया गया है। ध्यान दीजिये कि दोनों संग्रहों के नाम सेमी-कोलन (;) से अलग किये गये हैं। इस तरह ज़रूरत पड़ने पर आप किसी रचना को कितने भी संग्रहों का हिस्सा बता सकते हैं।


इस सुविधा का प्रयोग होते हुए आप यहाँ देख सकते हैं: मित्र के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"


आशा है आपको यह सुविधा उपयोगी लगेगी।


सादर


--सम्यक २१:३५, १९ अक्टूबर २००९ (UTC)


सादर नमस्कार अनिल जी

       उजाले अपनी यादों के .... बशीर बद्र,   किताब पूरी कर दी  है |  कृपया आप उसे जांच कर सुरक्षित कर दें ताकि उसमें किताब से बाहर की कोई और ग़ज़ल न जोड़ी जा सके ............

धन्यवाद श्रद्धा --Shrddha १५:३६, २१ अक्टूबर २००९ (UTC)


जनविजय जी! प्रसिद्ध कवियों की कुछ रचनाएँ कूड़ा कविताओं जैसी लगती हैं। क्या उन्हें कविता कोश पर डालना उचित है? सादर - धर्मेन्द्र कुमार सिंह

बधाई, २५,००० पन्नों का सफ़र तय हो गया

कविताकोश टीम को हार्दिक बधाई,

बहुत बहुत बधाई, २५,००० पन्नों का सफ़र तय हो गया, हिंदी साहित्य को अंतरजाल पर इस तरह पैर फैलाते देख मन हर्षित हो उठता है दुआ है कि सभी मिल कर इसी तरह काम करते जाएँ और नए साथी जोड़ते जाएँ, सहयोग, प्रेम, आदर और समर्पण हमारे बीच में जब तक रहेगा, कविताकोश इसी तरह उन्नति करता रहेगा मैं २८ दिसंबर तक परीक्षा में व्यस्त रहूंगी, ऑनलाइन आना नहीं हो सकेगा दिसंबर के बाद आप सबके बीच दुबारा नज़र आऊँगी तब तक के लिए इजाज़त

--Shrddha ०२:०५, २१ नवम्बर २००९ (UTC)

जनविजय जी! अब छायावादी कवियों में रामकुमार वर्मा जी ही रह गये हैं जिनका कोई संपूर्ण संग्रह कविता कोश पर नहीं है। अब अगला लक्ष्य रामकुमार वर्मा जी का कोई संग्रह ढूँढकर कविता कोश पर डालना है। सादर - धर्मेन्द्र कुमार सिंह