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"आज की लड़ाई / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
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जितना ऊँचा उतना ही नंगा | जितना ऊँचा उतना ही नंगा |
12:35, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
कुछ मर्दों की दास्तान ऐसी
जैसे पहाड़ पर धब्बे
जितना ऊँचा उतना ही नंगा
जबकि ठंडक नहीं
ऊँचाई गंदे नालों की
दुर्गंध पहेली
कुछ पुरुषों की कहानी जैसे मशीन बिगड़ैल
घटिया जितनी उतना ही शोर अंग अंग
हालाँकि मशीनों के होते कुछ रंग
हाथ रखो मशीन पर तो फिसफिसाए
ठीक ठीक दबाओ बटन चले ठीक ठाक
कुछ मर्दों पर रखे हाथों पर चढ़ जाते कीड़े
उनकी लपलपाती जीभें
हाथ रखने वालों की शिराओं में घुसतीं दूर
स्थायी विनाश दिमाग की क्यारिओं का होता
इनकी संगति से
कुछ में से कुछ ओढ़ें
लबादा ज्ञान का संघर्ष का
क्या बताएँ उनकी जैसे शैतान के दूत
कहलाएँ महाऋषि होवें नीच भूत
एक लड़ाई है लड़नी
इन कुछ को स्वयं में जानने की।