Changes

होगा एक और शब्द / मोहन राणा

42 bytes added, 12:02, 26 दिसम्बर 2009
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
नीली रंगतें बदलती
 
आकाश और लहरों की
 
बादल गुनगुनाता कुछ
 
सपना-सा खुली आँखों का
 
कैसा होगा यह दिन
 
कैसा होगा
 
यह वस्त्र क्षणों का
 
ऊन के धागों का गोला
 
समय को बुनता
 
उनींदे पत्थरों को थपकाता
 
होगा एक और शब्द
 
कहने को
 
यह किसी और दिन
  '''रचनाकाल: 28.5.2001</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits