भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फर्क़ / केशव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (फर्क़/ केशव का नाम बदलकर फर्क़ / केशव कर दिया गया है)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
 
|रचनाकार=केशव
 
|रचनाकार=केशव
 
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
 
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
स्त्री  
 
स्त्री  

21:13, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

स्त्री
प्यार देती है
माँगती नहीं
वह शायद जानती है
माँगने से प्यार होता है छोटा
और उसकी खूबसूरती
नष्ट होती है
देने से प्यार
होता है पल्लवित
और उम्र अनन्त

पुरुष
न प्यार माँगता है
न देने में रखता है यकीन
वह शायद मानता है
माँगने में निहित है हेठी
देने से खर्च होता
दुनियादारी के लिए सुरक्षित
प्यार का भंडार।