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"दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर
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दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ तो क्या मालूम हो । | दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ तो क्या मालूम हो । |
09:01, 6 अगस्त 2008 का अवतरण
दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ तो क्या मालूम हो ।
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो ।।
आशिक़ों से पूछिये खूबी लबे-जाँबख्श की,
जौहरी को क़द्रे-लाले-बेबहा मालूम हो ।
दाम में लाया है "आतिश" सब्जये-ख़ते-बुतां
सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो ।