भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इब्ने-मरियम हुआ करे कोई / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=ग़ालिब |
− | + | }} | |
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
− | + | ||
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई <br> | इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई <br> |
20:09, 27 जनवरी 2008 का अवतरण
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
<br
शर'अ-ओ-आईन पर मदार सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
चाल जैसे कड़ी कमाँ का तीर
दिल में ऐसे के जा करे कोई
बात पर वाँ ज़ुबान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई
रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ग़लत करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजतमंद
किसकी हाजत रवा करे कोई
क्या किया ख़िज्र ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा करे कोई
जब तवक़्क़ो ही उठ गयी "ग़ालिब"
क्यों किसी का गिला करे कोई