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रात पाली / कुमार सुरेश

76 bytes added, 06:25, 2 मार्च 2010
[[रात पाली]]{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita‎}}<poem>हर ओर क्षितिज कि सड़क
गाढ़े कोलतार से ढँक जाती है
चलना दुश्वार हो जाता है
जब मैं सो जाता हूँ
अक्सर रात कि सुहानी नींदों का ख्वाब
देखता हूँ. हूँ।
</poem>
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