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"जब मैं तेरा गीत लिखने लगी /अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

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हथेलियों पर रंग गई,
 
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01:45, 15 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं

दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई......

जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें

सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें