"घड़ियाली देहो निकाल नीं / बुल्ले शाह" के अवतरणों में अंतर
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+ | घड़िआली देहो निकाल नी | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी। | ||
− | + | घड़ी घड़ी घड़िआल बजावे, रैण वसल दी पिआ घटावे, | |
− | घड़ी | + | मेरे मन दी बात जो पावे, हत्थों चा सुट्टो घड़िआल नी। |
− | + | अज्ज पी घर आया लाल नी। | |
− | मेरे मन दी बात | + | |
− | + | अनहद वाजा वज्जे सुहाणा, मुतरिब सुघड़ा तान तराना, | |
+ | निमाज़ रोज़ा भुल्ल ग्या दुगाणा, मध प्याला देण कलाल नी। | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी। | ||
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+ | मुख वेखण दा अजब नज़ारा, दुक्ख दिले दा उट्ठ ग्या सारा, | ||
+ | रैण वड्डी क्या करे पसारा, दिल अग्गे पारो दीवाल नी। | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी । | ||
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+ | मैनूं आपनी ख़बर ना काई, क्या जाणां मैं कित व्याही, | ||
+ | इह गल्ल क्यों कर छुपे छपाई, हुण होया फ़ज़ल कमाल नी। | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी। | ||
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+ | टूणे टामण करे बथेरे, मिहरे आए वड्डे वडेरे, | ||
+ | हुण घर आया जानी मेरे, रहां लक्ख वर्हे इहदे नाल नी। | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी। | ||
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+ | बुल्हा शहु दी सेज़ प्यारी, नी मैं तारनहारे तारी, | ||
+ | किवें किवें हुण आई वारी, हुण विछड़न होया मुहाल नी। | ||
+ | अज्ज पी घर आया लाल नी। | ||
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18:25, 10 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
घड़ियाली (घंटा बजाने वाला) को निकाल दो क्योंकि
आज मेरे प्रियतम घर आए हैं।
घड़ियाली थोड़ी-थोड़ी देर बाद घड़ियाल बजाकर मेरे मिलन की रात को घटा देता है।
अगर वो मेरी बात समझता है
तो उसे ख़ुद अपने हाथ से घड़ियाल फेंक देना चाहिए।
मूल पंजाबी पाठ
घड़िआली देहो निकाल नी
अज्ज पी घर आया लाल नी।
घड़ी घड़ी घड़िआल बजावे, रैण वसल दी पिआ घटावे,
मेरे मन दी बात जो पावे, हत्थों चा सुट्टो घड़िआल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी।
अनहद वाजा वज्जे सुहाणा, मुतरिब सुघड़ा तान तराना,
निमाज़ रोज़ा भुल्ल ग्या दुगाणा, मध प्याला देण कलाल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी।
मुख वेखण दा अजब नज़ारा, दुक्ख दिले दा उट्ठ ग्या सारा,
रैण वड्डी क्या करे पसारा, दिल अग्गे पारो दीवाल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी ।
मैनूं आपनी ख़बर ना काई, क्या जाणां मैं कित व्याही,
इह गल्ल क्यों कर छुपे छपाई, हुण होया फ़ज़ल कमाल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी।
टूणे टामण करे बथेरे, मिहरे आए वड्डे वडेरे,
हुण घर आया जानी मेरे, रहां लक्ख वर्हे इहदे नाल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी।
बुल्हा शहु दी सेज़ प्यारी, नी मैं तारनहारे तारी,
किवें किवें हुण आई वारी, हुण विछड़न होया मुहाल नी।
अज्ज पी घर आया लाल नी।