भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये घर तुम्हारा है / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[तेजेन्द्र शर्मा]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]
+
|रचनाकार=तेजेन्द्र शर्मा
 +
}}
 +
[[Category:ग़ज़ल]]  
 +
<poem>
 +
जो तुम न मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है
 +
यहां जो आ गया इक बार, बस हमारा है
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
कहां कहां के परिन्दे, बसे हैं आ के यहाँ
 +
सभी का दर्द मेरा दर्द, बस ख़ुदारा है
  
जो तुम मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है<br>
+
नदी की धार बहे आगे, मुड क़े देखे
यहां जो आ गया इक बार, बस हमारा है<br><br>
+
न समझो इसको भंवर अब यही किनारा है
  
कहां कहां के परिन्दे, बसे हैं आ के यहाँ<br>
+
जो छोड़ आये बहुत प्यार है तुम्हें उससे
सभी का दर्द मेरा दर्द, बस ख़ुदारा है<br><br>
+
बहे बयार जो, समझो न तुम, शरारा है
  
नदी की धार बहे आगे, मुड क़े न देखे<br>
+
यह घर तुम्हारा है इसको न कहो बेगाना
न समझो इसको भंवर अब यही किनारा है<br><br>
+
मुझे तुम्हारा, तुम्हें अब मेरा सहारा है</poem>
 
+
जो छोड़ आये बहुत प्यार है तुम्हें उससे<br>
+
बहे बयार जो, समझो न तुम, शरारा है<br><br>
+
 
+
यह घर तुम्हारा है इसको न कहो बेगाना<br>
+
मुझे तुम्हारा, तुम्हें अब मेरा सहारा है<br><br>
+

18:13, 12 मई 2009 के समय का अवतरण

जो तुम न मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है
यहां जो आ गया इक बार, बस हमारा है

कहां कहां के परिन्दे, बसे हैं आ के यहाँ
सभी का दर्द मेरा दर्द, बस ख़ुदारा है

नदी की धार बहे आगे, मुड क़े न देखे
न समझो इसको भंवर अब यही किनारा है

जो छोड़ आये बहुत प्यार है तुम्हें उससे
बहे बयार जो, समझो न तुम, शरारा है

यह घर तुम्हारा है इसको न कहो बेगाना
मुझे तुम्हारा, तुम्हें अब मेरा सहारा है