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"मैं जानता था / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है<br><br>
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जो ख़ुश करे वो आईना ईजाद किया है
  
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मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है<br><br>
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तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम
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सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है</poem>
 
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तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम<br>
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सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है<br><br>
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21:35, 15 मई 2009 के समय का अवतरण

घर जिसने किसी ग़ैर का आबाद किया है
शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है

जग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार
मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है

तू ये ना सोच शीशा सदा सच है बोलता
जो ख़ुश करे वो आईना ईजाद किया है

सीने में ज़ख्म है मगर टपका नहीं लहू
कैसे मगर ये तुमने ऐ सैय्याद किया है

तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम
सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है