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"सारों को पूजो / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालय
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समाधी व रोज़ा, मज़ारों को पूजो
  
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कभी पूजो गर्मी, कभी पूजो सर्दी
कहीं चश्मों, नदियों, पहाड़ों को पूजो<br><br>
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खिज़ां को कभी, फिर बहारों को पूजो
  
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कभी पूजा करते हो, वीरान राहें
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कभी जा के उजडे़ दयारों को पूजो
  
कभी पूजो बुत को, कभी बुतकदों को<br>
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जिन्हें देखा भाला, नहीं आज तक है
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उन्हीं आसरों को, सहारों को पूजो
  
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यहां लोग मिलते हैं पूजा के काबिल
कभी जा के उजडे़ दयारों को पूजो<br><br>
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जिन्हें देखा भाला, नहीं आज तक है<br>
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यूं मुर्दों को सजदे, बजाओगे कब तक
उन्हीं आसरों को, सहारों को पूजो<br><br>
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जो है पूजना, जानदारों को पूजो
  
यहां लोग मिलते हैं पूजा के काबिल<br>
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तुम्हें अपने घर पर ही मिल जाएंगे वो
करिश्मों कभी चमत्कारों को पूजो<br><br>
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जो हकदार हैं, उन बेचारों को पूजो
  
यूं मुर्दों को सजदे, बजाओगे कब तक<br>
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भला ‘तेज’ ने, कब तुम्हें आ के टोका
जो है पूजना, जानदारों को पूजो<br><br>
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जो हैं पूजने योग सारों को पूजो</poem>
 
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जो हकदार हैं, उन बेचारों को पूजो<br><br>
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भला ‘तेज’ ने, कब तुम्हें आ के टोका<br>
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जो हैं पूजने योग सारों को पूजो<br><br>
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22:00, 15 मई 2009 के समय का अवतरण

नज़र में जो हों, उन नज़ारों को पूजो
कहीं चश्मों, नदियों, पहाड़ों को पूजो

कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालय
समाधी व रोज़ा, मज़ारों को पूजो

कभी पूजो गर्मी, कभी पूजो सर्दी
खिज़ां को कभी, फिर बहारों को पूजो

कभी पूजो बुत को, कभी बुतकदों को
कभी चांद सूरज व तारों को पूजो

कभी पूजा करते हो, वीरान राहें
कभी जा के उजडे़ दयारों को पूजो

जिन्हें देखा भाला, नहीं आज तक है
उन्हीं आसरों को, सहारों को पूजो

यहां लोग मिलते हैं पूजा के काबिल
करिश्मों कभी चमत्कारों को पूजो

यूं मुर्दों को सजदे, बजाओगे कब तक
जो है पूजना, जानदारों को पूजो

तुम्हें अपने घर पर ही मिल जाएंगे वो
जो हकदार हैं, उन बेचारों को पूजो

भला ‘तेज’ ने, कब तुम्हें आ के टोका
जो हैं पूजने योग सारों को पूजो