भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कितने कोमल कुसुम नवल / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…) |
छो ("कितने कोमल कुसुम नवल / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:09, 27 मई 2010 के समय का अवतरण
कितने कोमल कुसुम नवल
कुम्हलाते नित्य धरा पर झर झर,
यह नभ अब तक सुन प्रिय बालक,
मिटा चुका कितने मुख सुंदर!
मान न कर चंचल यौवन पर
यह मदिरा का बुद्बुद अस्थिर,
सरिता का जल, जीवन के पल
लौट नहीं आते रे फिर फिर!