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"दरिंदा / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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21:04, 16 अगस्त 2006 का अवतरण

लेखक: भवानीप्रसाद मिश्र

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दरिंदा
आदमी की आवाज़ में
बोला

स्वागत में मैंने
अपना दरवाज़ा
खोला

और दरवाज़ा
खोलते ही समझा
कि देर हो गई

मानवता
थोडी बहुत जितनी भी थी
ढेर हो गई !