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19:18, 21 जुलाई 2006 का अवतरण
लेखक: भवानीप्रसाद मिश्र
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मुझे पंछी बनाना अब के
या मछली
या कली
और बनाना ही हो आदमी
तो किसी ऐसे ग्रह पर
जहाँ यहाँ से बेहतर आदमी हो
कमी और चाहे जिस तरह की हो
पारस्परिकता की न हो।