भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खुरदरे पैर / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[नागार्जुन]]
+
रचनाकार: [[नागार्जुन]]
[[कवितायें]]
+
[[Category:कविताएँ]]
[[नागर्जुन]]
+
[[Category:नागार्जुन]]
  
***************************************
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
  
 
खुब गये  
 
खुब गये  
पंक्ति 46: पंक्ति 46:
  
  
१९६१ में लिखी गई
+
''१९६१ में लिखी गई''

22:57, 29 अप्रैल 2007 का अवतरण

रचनाकार: नागार्जुन

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

खुब गये

दूधिया निगाहों में

फटी बिवाइयोंवाले खुरदरे पैर


धंस गये

कुसुम-कोमल मन में

गुट्ठल घट्ठोंवाले कुलिश-कठोर पैर


दे रहे थे गति

रबड़-विहीन ठूंठ पैडलों को

चला रहे थे

एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चक्र

कर रहे थे मात त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को

नाप रहे थे धरती का अनहद फासला

घण्टों के हिसाब से ढोये जा रहे थे !


देर तक टकराये

उस दिन इन आंखों से वे पैर

भूल नहीं पाऊंगा फटी बिवाइयां

खुब गयीं दूधिया निगाहों में

धंस गयीं कुसुम-कोमल मन में


१९६१ में लिखी गई