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"कविता है यह / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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12:21, 5 जुलाई 2010 का अवतरण
जरा सम्हल कर
धीरज से पढ़
बार-बार पढ़
ठहर-ठहर कर
आंख मूंद कर आंख खोल कर,
गल्प नहीं है
कविता है यह.
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मोटा पाठ