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"नदी : कामधेनु / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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मनुष्य दुह रहा है | मनुष्य दुह रहा है | ||
अब वह कामधेनु है। | अब वह कामधेनु है। |
15:31, 15 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार: त्रिलोचन शास्त्री
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नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
तैरकर धारा को पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य सुना और
सपरिवार धारा को
नाव से पार किया।
नदी ने कहा था : मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
आखिर उसे बाँध लिया
बाँध कर नदी को
मनुष्य दुह रहा है
अब वह कामधेनु है।