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"उस जनपद का कवि हूँ / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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| + | * [[गद्य-वद्य कुछ लिखा करो / त्रिलोचन]] | ||
| + | * [[स्त्री के लिए जान दे दी / त्रिलोचन]] | ||
| + | * [[ दूब, गर्मियों में देखा, भूरी-भूरी थी / त्रिलोचन]] | ||
| + | * [[कटहल के फूलों की लहरों ने रोका था / त्रिलोचन]] | ||
| + | * [[झाँय झाँय करती दुपहरिया / त्रिलोचन]] | ||
| + | * [[गेहूँ जौ के ऊपर सरसों की रंगीनी / त्रिलोचन]] | ||
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23:19, 11 दिसम्बर 2007 का अवतरण
उस जनपद का कवि हूँ
| रचनाकार | त्रिलोचन |
|---|---|
| प्रकाशक | |
| वर्ष | 1981 |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | कविता |
| विधा | |
| पृष्ठ | |
| ISBN | |
| विविध |
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- उस जनपद का कवि हूँ. / त्रिलोचन
- चीर भरा पाजामा / त्रिलोचन
- भीख मांगते उसी त्रिलोचन को देखा कल / त्रिलोचन
- कल फिर वह भिक्षुक आया था / त्रिलोचन
- हम दोनों हैं दुखी / त्रिलोचन
- गीतमयी हो तुम / त्रिलोचन
- तुम्हें याद है / त्रिलोचन
- सप्त बालचन्द्री आयस पुल राजघाट का / त्रिलोचन
- सन्ध्या ने मेघों के कितने चित्र बनाए / त्रिलोचन
- चन्द्रमुखी ने गोर्की की तस्वीर निहारी / त्रिलोचन
- प्रभो, पुत्र वह मांग रही है / त्रिलोचन
- प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है / त्रिलोचन
- गद्य-वद्य कुछ लिखा करो / त्रिलोचन
- स्त्री के लिए जान दे दी / त्रिलोचन
- दूब, गर्मियों में देखा, भूरी-भूरी थी / त्रिलोचन
- कटहल के फूलों की लहरों ने रोका था / त्रिलोचन
- झाँय झाँय करती दुपहरिया / त्रिलोचन
- गेहूँ जौ के ऊपर सरसों की रंगीनी / त्रिलोचन
- दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें / त्रिलोचन
