भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उस जनपद का कवि हूँ / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
|विविध=-- | |विविध=-- | ||
}} | }} | ||
− | * [[उस जनपद का कवि हूँ | + | * [[उस जनपद का कवि हूँ (कविता) / त्रिलोचन]] |
* [[चीर भरा पाजामा / त्रिलोचन]] | * [[चीर भरा पाजामा / त्रिलोचन]] | ||
* [[भीख मांगते उसी त्रिलोचन को देखा कल / त्रिलोचन]] | * [[भीख मांगते उसी त्रिलोचन को देखा कल / त्रिलोचन]] |
12:52, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण
उस जनपद का कवि हूँ
रचनाकार | त्रिलोचन |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | 1981 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- उस जनपद का कवि हूँ (कविता) / त्रिलोचन
- चीर भरा पाजामा / त्रिलोचन
- भीख मांगते उसी त्रिलोचन को देखा कल / त्रिलोचन
- कल फिर वह भिक्षुक आया था / त्रिलोचन
- हम दोनों हैं दुखी / त्रिलोचन
- गीतमयी हो तुम / त्रिलोचन
- तुम्हें याद है / त्रिलोचन
- सप्त बालचन्द्री आयस पुल राजघाट का / त्रिलोचन
- सन्ध्या ने मेघों के कितने चित्र बनाए / त्रिलोचन
- चन्द्रमुखी ने गोर्की की तस्वीर निहारी / त्रिलोचन
- प्रभो, पुत्र वह मांग रही है / त्रिलोचन
- प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है / त्रिलोचन
- गद्य-वद्य कुछ लिखा करो / त्रिलोचन
- स्त्री के लिए जान दे दी / त्रिलोचन
- दूब, गर्मियों में देखा, भूरी-भूरी थी / त्रिलोचन
- कटहल के फूलों की लहरों ने रोका था / त्रिलोचन
- झाँय झाँय करती दुपहरिया / त्रिलोचन
- गेहूँ जौ के ऊपर सरसों की रंगीनी / त्रिलोचन
- दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें / त्रिलोचन