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"चोरी की रपट / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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घूरे खाँ के घर हुई चोरी आधी रात ।    
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घूरे खाँ के घर हुई चोरी आधी रात ।
 
कपड़े-बर्तन ले गए छोड़े तवा-परात ॥
 
कपड़े-बर्तन ले गए छोड़े तवा-परात ॥
 
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छोड़े तवा-परात, सुबह थाने को धाए ।
छोड़े तवा-परात, सुबह थाने को धाए ।
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क्या-क्या चीज़ गई हैं सबके नाम लिखाए ॥
 
क्या-क्या चीज़ गई हैं सबके नाम लिखाए ॥
 
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आँसू भर कर कहा – महरबानी यह कीजै ।
आँसू भर कर कहा – महरबानी यह कीजै ।
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तवा-परात बचे हैं इनको भी लिख लीजै ॥
 
तवा-परात बचे हैं इनको भी लिख लीजै ॥
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कोतवाल कहने लगा करके आँखें लाल ।
कोतवाल कहने लगा करके आँखें लाल ।
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उसको क्यों लिखवा रहा नहीं गया जो माल ॥
 
उसको क्यों लिखवा रहा नहीं गया जो माल ॥
 
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नहीं गया जो माल, मियाँ मिमियाकर बोला ।
नहीं गया जो माल, मियाँ मिमियाकर बोला ।
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मैंने अपना दिल हुज़ूर के आगे खोला ॥
 
मैंने अपना दिल हुज़ूर के आगे खोला ॥
 
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मुंशी जी का इंतजाम किस तरह करूँगा ।
मुंशी जी का इंतजाम किस तरह करूँगा ।
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तवा-परात बेचकर 'रपट लिखाई' दूँगा ॥
 
तवा-परात बेचकर 'रपट लिखाई' दूँगा ॥
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12:08, 18 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

घूरे खाँ के घर हुई चोरी आधी रात ।
कपड़े-बर्तन ले गए छोड़े तवा-परात ॥
छोड़े तवा-परात, सुबह थाने को धाए ।
क्या-क्या चीज़ गई हैं सबके नाम लिखाए ॥
आँसू भर कर कहा – महरबानी यह कीजै ।
तवा-परात बचे हैं इनको भी लिख लीजै ॥
कोतवाल कहने लगा करके आँखें लाल ।
उसको क्यों लिखवा रहा नहीं गया जो माल ॥
नहीं गया जो माल, मियाँ मिमियाकर बोला ।
मैंने अपना दिल हुज़ूर के आगे खोला ॥
मुंशी जी का इंतजाम किस तरह करूँगा ।
तवा-परात बेचकर 'रपट लिखाई' दूँगा ॥