भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ललक / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:त्रिलोचन]]
+
|रचनाकार=त्रिलोचन
 
+
|संग्रह=
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
 
+
 
(कालिदास से साभार)
 
(कालिदास से साभार)
  

14:08, 8 मई 2009 के समय का अवतरण

(कालिदास से साभार)

हाथ मैं ने

उँचाए हैं

उन फलों के लिए

जिन को

बड़े हाथों की प्रतीक्षा है ।


फलों को

मैं देखता हूं

जानता हूं

चीन्हता हूं

और

उन के लिये

मुझ में ललक भी है ।


हाथ मैं ने

उँचाए हैं

उन फलों के लिये

जिन को

बड़े हाथों की प्रतीक्षा है

डर नहीं है

हँसा जाऊँगा !


('तुम्हें सौंपता हूं' नामक संग्रह से )