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"अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

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पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
 
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राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को
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राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
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08:27, 17 सितम्बर 2010 का अवतरण

अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं

दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं

राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं

 

शब्दार्थ
<references/>