भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मतदाताओं ने / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=मार प्यार की थापें / के…) |
छो ("मतदाताओं ने / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:38, 18 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
मतदाताओं ने
उसे मंत्री बनाया।
अब क्या नहीं कर सकता वह?
यानी
घड़े में सूरज को बंद कर सकता है;
आग को आँसू कर सकता है;
नदी को दावात में कैद कर सकता है;
औरत को बकरी
और मर्द को कनखजूरा बना सकता है;
रक्त को स्याह
और बुद्धि को भ्रष्ट कर सकता है।
तभी तो
लठैत और गुंडे-
ठगैत और संडमुसंडे
उसके नाक के बाल बने
रात-दिन मालामाल होने में लगे।
रचनाकाल: १४-०६-१९७९