मतदाताओं ने
उसे मंत्री बनाया।
अब क्या नहीं कर सकता वह?
यानी
घड़े में सूरज को बंद कर सकता है;
आग को आँसू कर सकता है;
नदी को दावात में कैद कर सकता है;
औरत को बकरी
और मर्द को कनखजूरा बना सकता है;
रक्त को स्याह
और बुद्धि को भ्रष्ट कर सकता है।
तभी तो
लठैत और गुंडे-
ठगैत और संडमुसंडे
उसके नाक के बाल बने
रात-दिन मालामाल होने में लगे।
रचनाकाल: १४-०६-१९७९