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मतदाताओं ने / केदारनाथ अग्रवाल

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मतदाताओं ने
उसे मंत्री बनाया।

अब क्या नहीं कर सकता वह?
यानी
घड़े में सूरज को बंद कर सकता है;
आग को आँसू कर सकता है;
नदी को दावात में कैद कर सकता है;
औरत को बकरी
और मर्द को कनखजूरा बना सकता है;
रक्त को स्याह
और बुद्धि को भ्रष्ट कर सकता है।

तभी तो
लठैत और गुंडे-
ठगैत और संडमुसंडे
उसके नाक के बाल बने
रात-दिन मालामाल होने में लगे।

रचनाकाल: १४-०६-१९७९