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चुप है पेड़
और चुप है
पेड़ की बाँह पर बैठी
चिड़िया।
चुप्पी पर्याय नहीं होती
बसन्त का फूल-मौसम
बुलाने के लिए।
फिर भी
खुश है
अपत पेड़
कि बाँह पर बैठी चिड़िया
उससे अधिक
जानदार है-
उसी से उसको प्यार है।
रचनाकाल: १४-०६-१९७९