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"सिरजण पेटे / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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<poem>थारै खुरदारा शबदां ने
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थारै खुरदारा शबदां ने
 
परोटतां अर
 
परोटतां अर
 
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थारै दिखायोड़ै
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कीं तो म्हारे रचण अर सिरजण पेटे ई
 
कीं तो म्हारे रचण अर सिरजण पेटे ई
 
'कोटो' रखतौ।
 
'कोटो' रखतौ।
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14:59, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

थारै खुरदारा शबदां ने
परोटतां अर
थारै दिखायोड़ै
दरसावां पर
नाड़ हिलांवता ई'जे
म्हारा जलमदिन निकळना हा
फैरुं क्यूं दीनी
म्हने रचण री ऊरमा
सामीं मूंढ़े म्हांसू बात नीं करण्या
थारै परपूठ एक ओळभो है
कीं तो म्हारे रचण अर सिरजण पेटे ई
'कोटो' रखतौ।