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जितरी लंठी | जितरी लंठी |
05:18, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण
धरती-आभै
जितरी लंठी
थारी
कद-काठी ।
बावळ सरीसौ
थारो
सांस ।
समदर रै उनमांन
पसराव ।
नीं थाकै
नीम हारै
थूं ।
वाह रे
थळवट रा उमराव ।