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गुलाब खंडेलवाल / परिचय

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/* गुलाब खंडेलवाल की कृतियाँ */
'''कविता कोश में [[गुलाब खंडेलवाल|गुलाब खंडेलवाल की रचनाएँ]]'''
==गुलाब खंडेलवाल की कृतियाँ==श्री गुलाब खंडेलवाल द्वारा निम्नलिखित कृतियाँ की रचना की गई: (काव्य)# कविता# चाँदनी# बलि-निर्वास# कच-देवयानी# उषा# अहल्या# मेरे भारत, मेरे स्वदेश# रूप की धूप# सौ गुलाब खिले# आलोकवृत्त# गाँधी-भारती# पंखुरियां गुलाब की# सीपी-रचित रेत# कुछ और गुलाब# नूपुरबँधे चरण# आयु बनी प्रस्तावना# शब्दों का जन्म रजस्थान के शेखावाटी प्रदेश के नगलगढ़ नगर में २१ फरवरी सन् १९२४ ई. को हुआ था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से परे# व्यक्ति बनकर आ# हर सुबह एक ताजा गुलाब# कस्तूरी कुंडल बसे# सब कुछ कृष्णार्पणम्# ऊसर का फूल# नये प्रभात की अँगड़ाइयाँ# चंदन की कलम शहद उन्होंने १९४३ ई. में डूबोबी.ए. किया। काशी के छात्र-डूबोकर# आधुनिक कवि - १९ गुलाब खंडेलवाल# हम तो गाकर मुक्त हुए# गुलाब खंडेलवालजीवन में ही उनका सम्पर्क सर्वश्री बेढब बनारसी, हरिऔधजी, मैथिलीशरणजी, निरालाजी, बाबू सम्पूर्णानन्द, बाबू श्यामसुन्दरदास, पं. नन्ददुलारे बाजपेयी, सेलेक्टेड पोएम्स (अंग्रेजी में)# कितने जीवनपं. कमलापति त्रिपाठी, कितनी बार# गीत-वृंदावन# सीता-वनवास# तिलक करें रघुवीर# प्रेम-कालिंदी# भक्तिगंगा# भावों पं. सीताराम चतुर्वेदी, पं. श्री नारायण चतुर्वेदी आदि से हुआ जिससे उनके साहित्यिक संस्कार पल्लवित हुए। १९४१ ई. में उनके गीतों और कविताओं का राजकुमार# देश विराना है# प्रीत न करियो कोय# प्रेमसंग्रह 'कविता' नाम से महाकवी निराला की भुमिका के साथ प्रकाशित हुआ और तब से अब तक उनके पचास से ऊपर काव्यग्रंथ और २ गद्य-वीणा# नहीं विराम लिया है# अंतःसलिला# तुझे पाया अपने को खोकर (ग्रंथावली नाटक प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने हिन्दी में उपलब्ध)# करुणा-त्रिवेणी (इसमें गीत-वृंदावन, गीत-रत्नावली दोहा, सॉनेट, रुबाई, ग़ज़ल, नयी शैली की कविता और सीता वनवास सम्मिलित मुक्तक, काव्यनाटक प्रबंधकाव्य, महाकाव्य, मसनवी आदि के सफल प्रयोग किये हैं)# जो पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी द्वारा संपादित गुलाब-ग्रंथावली (परिवर्धित संस्करण) के पहले, दुसरे, तीसरे, और चौथे, खंड-१ भाग-१# गुलाब-ग्रंथावली (में संकलित हैं तथा जिनका परिवर्धित संस्करण) खंड-१ भाग-२# गुलाब-ग्रंथावली (परिवर्धित संस्करण) खंड-२# गुलाब-ग्रंथावली (परिवर्धित संस्करण) खंड-३# गुलाब-ग्रंथावली (परिवर्धित संस्करण) खंड-४# दिया जग को तुझसे जो पाया (इसमें 'देहली का पत्थर' और 'पत्र-पुष्प' सम्मिलित हैं)# मेरे गीत, तुम्हारा स्वर हो# कालजयी# आयु बनी प्रस्तावना(गद्य)# राजराजेश्वर अशोक# भूलआचार्य विश्वनाथ सिंह के द्वारा संपादित होकर वृहत्तर रूप में पुनः प्रकाशित हुआ है।
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