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ढूंढ रहे शैवाल वनों में
हम मोती के दाने
 
लोभी कुर्सी , भृष्ट व्यवस्था
राजनीति दलबदलू
बंदर बाँट, आँकड़े फर्जी
बिकते जनपद थाने
 
सुविधा शुल्क, बढ़ी मँहगाई
रामराज्य के सपने
जो कल तक थे अपने
आसमान छूने की बातें
खाली पडे़ खजाने
अफसरशाही, नेतागिरी
एक खाट दो पाये
लाठी, डण्डे, बम, बन्दूकें
लोकतन्त्र के माने
बंदर बाँट, आँकड़े फर्जी
बिकते जनपद थाने। ढूंढ रहे शैवाल वनों में हम मोती के दाने
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