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'''दोहा ''' ''(भ्रमरावली के गुंजार से संभ्रम-निवारण का वर्णन)''
संभ्रम अति उर मैं बढ़्यौ, रह्यौ नहीं कछु ग्यान ।
मधुकरीन-मुख ता समै, परयौ सबद यह कान ॥६॥
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