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बातें बना-बना के फिराते हैं मुँह सभी
सच है, भरम किसी को किसीको भी अपना न दीजिये
ढाढ़स है, मन का भेद है, आँचल की है हवा
भाती नहीं जो आपको गज़लें गुलाब की
उन पर न कान देना है अच्छा , न दीजिये
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