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वे बातें जिन्हें हम छिपाया किये
बता ही गए गये बातों-बातों में आप
उमीदें तो दिल की बुझीं इस तरह
दिए दिये बुझते हैं जैसे रातों में आप
चुभाये हैं किसने ये काँटे, गुलाब!
खड़े हैं शहीदों की पाँतों में आप
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