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दूसरे अध्याय में 11 प्रकरण हैं ,जिनमें कवयित्री की कल्पना को धरा का विस्तार मिला है तो गगन की असीम ऊँचाई भी साथ ही मिली है ।'''
कवयित्री वर्णन , विवरण के साथ-साथ बाह्य और अन्त: प्रकृति का चित्रण चोका के माध्यम से किसी कुशल कैमरामैन के सौन्दर्यबोध की कलात्मक प्रस्तुति बनकर हमारी आँखों के आगे आ जाता है । इनका अनुभूत सत्य इन्द्रधनुषी रंग में मन मोह लेता है । कविता का हर शब्द पाठक के मर्म को छू लेता है ।
[[रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’]]
 
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