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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= नाव सिन्धु में छोड़ी अन्तःसलिला / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
दिन भर सागर-तट पर गाऊँ
बालू के घर बना-मिटाऊँ गाते ही गाते घर आऊँ
सोच न हारे-जीते
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