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अंग्रेजों ने धीरे-धीरे पूरी देशी फौज तैयार करली। जिसे बंगाल आर्मी के नाम से जाना गया। देसी लोगों की सेना से जिसे अंग्रेजों के ड्रिलसार्जेंट ने संगठित तथा प्रशिक्षित किया वह जहां अंग्रेजों के काम आई वहीं वह हिंदुस्तानी आत्मोत्थान की आवश्यक शर्त भी थी। देसी सेना अंग्रेजों की वफादार फौज मानी गई उस आर्मी में हिंदु व मुसलमान दोनों थे। कई साल तक इस आर्मी ने कई लड़ाइयां लड़ी जिसके चलते दोनों सम्प्रदाय के फौजियों में एकता और मजबूत हुई। एक समय के बाद सन् 1856 के आते आते देशी और बरतानवी फौजी के बीच का अनुपात घट कर दह भारतीय सिपाहियों पर एक ब्रिटिश का रह गया। इस बिगड़े हुए सैनिक अनुपात को भी कालान्तर में आने वाले समय की बगावत के मुख्य कारणों में से माना गया।ै गया। क्या बताया भला:
बंगाल आर्मी अंग्रेजां की उसका पूरा इतिहास सुणो॥
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