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[[Category:बाल-कविताएँ]]
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जब से सर्दी आ गईधूप मन को भा गई । पेड़ सारे काँपते हैं पात से तन ढाँपते हैं धुंध नभ में छा गई ।थरथराता ताल का जलसिहरता है चाँद चंचल रैन चिड़िया गा गई ।अलाव बातों में लगे हैंरात भर सारे जगे हैं सुबह फिर शरमा गई ।
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