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Kavita Kosh से
हमारे दिल से सब की सब हैं वो उतरी हुई चीज़ें
दिखाती हैं हमें मजबूरियाँ ऐसे भी दिन अक़्सर अक्सर
उठानी पड़ती हैं फिर से हमें फेंकी हुई चीज़ें