भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
फिर ज़माने पे तब्सरा करना
एक सच्ची पुकार काफी काफ़ी है
हर घड़ी क्या ख़ुदा - ख़ुदा करना
ग़ैर -मुमकिन भी है गुनाह भी है
पर को परवाज़ से जुदा करना
Mover, Reupload, Uploader
3,960
edits