भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
रंग-बिरंगेआजीवनकच्चे-पक्केएक धागा बुनता रहापतलेमेरा क्षण-मोटेप्रतिक्षणरेशमी सूती धागे लेकरप्रतिकार में उसनेबुनती हूँ रोज़ खो दिया अपना आप — तुम एक ही झटके मेंउधेड़ देते हो मुझेमेरी प्रत्येक बुनाई का अन्तिम सिरातुम्हारे पास है
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits