भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
इस क़दर साद-ओ-पुरकार1 पुरकार<ref>सादा और नाज़-नख़रे वाला</ref> कहीं देखा हैबेनमूदार2 बेनमूदार<ref> अप्रकट</ref> इतना नमूदार3 नमूदार<ref>प्रकट</ref> कहीं देखा है
ख़्वाह4 ख़्वाह<ref>चाहे</ref> काबे में तुझे ख़्वाह मैं बुतख़ाने में
इतना समझूँ हूँ मिरे यार कहीं देखा है
दुख-दहिंद5 दहिंद<ref>दुख देने वाले</ref> और भी हैं लेक6 लेक<ref>लेकिन</ref> किसी के कोईदिल-सा भी दर-पए-आज़ार7 आज़ार<ref>कष्ट देने पर आमादा</ref> कहीं देखा है
नज़र आती ही नहीं शक्ले-रिहाई8रिहाई<ref>रिहाई का उपाय</ref>, मुझ-सासाइते-बद9 बद<ref>बुरी साइत</ref> का गिरफ़्तार कहीं देखा है
फिरे है कूच-ओ-बाज़ार में तू क्यों 'सौदा'
जिंसे-दिल10 दिल<ref>दिल रूपी वस्तु</ref> का भी ख़रीदार कहीं देखा है
'''शब्दार्थ:
1. सादा और नाज़-नख़रे वाला, 2. अप्रकट, 3. प्रकट, 4. चाहे, 5. दुख देने वाले, 6. लेकिन, 7. कष्ट देने पर आमादा, 8. रिहाई का उपाय, 9. बुरी साइत, 10. दिल रूपी वस्तु
</poem>
{{KKMeaning}}