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गुलदस्ता-ए-निगाह सुवेदा कहें जिसे<br><br>
फूँका है किसने गोशे गोश-ए-मुहब्बत में ऐ ख़ुदा<br>
अफ़सून-ए-इन्तज़ार तमन्ना कहें जिसे<br><br>
सर पर हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी से डलियेडालिये<br>
वो एक मुश्त-ए-ख़ाक के सहरा कहें जिसे<br><br>
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